वैदिक शब्दावली (GLOSSARY OF VEDIC TERMS)
- अमाजू – अविवाहित लड़की जो जीवनभर कुँवारी रहती है
- असिकनी – चिनाब
- अजा – बकरी
- अवत् – कुएँ
- आवे – भेड़
- अनस् – साधारण-सी गाड़ी
- औदन – दूध से पकाकर बनायी गई वस्तु
- आठम्वर – वीणा
- असम – धातु की वस्तु
- अयस् – धातु
- अंतर्वेदी – गंगा दोआब
- अघन्या – न मारने योग्य (गाय)
- अनास – चपटी नाक वाला, बिना नाक वाला
- अव्रत – व्रतों को न मानने वाला
- अदिति – देवताओं की माँ
- अन्य व्रत – दस्यु
- अक्षवाप – जुओं का निरीक्षक
- अदेवय – बिना देवता वाले (दस्यु)
- अकर्मन – कर्म न करने वाले (दस्यु)
- अयज्वन – यज्ञ क्रिया न करने वाले (दस्यु)
- अपूप – पुआ
- अयस – ताम्बा
- अस्तेन – चोर
- अनूप – रोटी
- अब्रात्य – अछूत
- अरण्यणी – जंगल की देवी
- आप – जल
- अब्रह्मण – वेदों को न मानने वाले
- अमिक्षा – दही
- अधिवास – ऊपर का वस्त्र
- अध्वर्यु – यजुर्वेद के ब्राह्मण
- अज – अनार्य जनजाति
- अनिल – अनार्य जनजाति (अफगानिस्तान को)
- ईक्षु – ईख
- ईशान – समिति का अध्यक्ष
- ईशान – शिव का एक नाम
- इन्द्रशुनासीर – छलयुक्त इन्द्र
- उष्णीश – पगड़ी
- उग्र – पुलिस
- ऊर्दर – अनाज नापने का बर्तन
- उर्वरा – जुता हुआ खेत
- ऊर्ण – ऊन
- उपाकर्म – शिक्षा सत्र की शुरूआत
- उदगात् – सामवेद से सम्बन्धित
- कौश – रेशम
- कैवर्त – मछुआरा
- कुलाल – कुम्हार
- क्रम्ब – माथे का टीका
- केतु – छोटा झण्डा
- कुलप – परिवार का मुखिया
- कीनाश – हलवाहा
- कुसीदीन – सूद लेने वाला
- कुल्या – नहर
- कृष्ण अयस – लोहा
- कमरि – लोहार
- कुभा – काबुल
- कुर्मु – कुर्रम
- कर्षण – जुताई
- करीष – गोबर की खाद
- क्रिवि – अनार्य कबीला
- कृष् – खेती करना
- कृत्या – जादू टोना मे सम्बन्धित अपकारी शक्ति
- कुरु – पुरु व भरत मिलकर बना
- खल – संग्रहालय
- गण – सेना की इकाई
- कारू – मन्त्र निर्माता (नवें मंडल में)
- गोधूम – गेहूँ
- गोमत – धनी व्यक्ति
- गोहन्ता – अतिथि (इसके आने पर गाय का माँस खिलाया जाता था)
- ग्राम – छोटी कबायली टोली
- गौबल – भैंस (गाय जैसी दिखने वाली)
- गोमती – गोमल
- गोत्र – गौ समुदाय
- गृहपति – परिवार का मुखिया
- गोप, जनस्य, गोपा – कबीले का मुखिया या राजा
- ग्रामणी – गाँव का मुखिया
- गवेषण, गोषु, गप्य, गभ्य – युद्ध के लिए शब्द
- धन्ब – मरुस्थल
- धान – अन्न
- घावापृथ्वी – आकाश व पृथ्वी का संयुक्त नाम
- धर्मन – कानूनी शब्द
- घौस – आकाश
- धान्यकृत – अन्न उत्पन करने वाला
- त्रपु – टिन
- ऋभु – बौना (धातुओं पर असर डालने वाला)
- ऋत – नैतिक आचरण का स्वामी, वरुण
- वृत्रासुर – अकाल, पाले वहिम का असुर
- वृत्रासुर हन्ता – इन्द्र
- ऋतस्य गोपा – वरुण
- चर्मम – मोची
- चित्रपट – भित्तिचित्र
- जन – अनेक कबीलों का समूह
- जनस्य गोपा – राजा
- जातवेद्स – अग्नि
- जनपद – अनेक कबीलों से बना संगठन
- तसर – करघा
- तर्प्य – रेशमी कपड़ा
- तन्तु ओतु – ताना-बाना
- तुर्वस – पंचजन में से एक जन
- तक्षण – एक राजा
- दुसद्धती – घग्घर नदी
- दुहिता – पुत्री
- दिशणा – वनस्पति को देवी
- द्स्यु – भारत के मूल निवासी
- दात्र – दराँती
- देवपीयु – देवताओं को अपवित्र करने वाले
- निघापति – चिड़ीमार
- निस्क – आभूषण
- नद्र – नरकट
- नृप्त – भतीजा, दादा, नाना
- निष्क्रिय – वस्तु-विनिमय
- न्योचना – गले का हार
- नापित – नाई
- नैष्ठिक – जीवन-भर ब्रह्मचारी रहकर अध्ययन करने वाला
- पणि – व्यापारी
- पुरुष्णी – रावी
- पुरप – दुर्गपति
- पुरन्दर – इन्द्र (किले तोड़ने के कारण)
- पेशस – कढ़े हुए वस्त्र
- पर्जन्य – बादल
- प्रतिहार – राजा का रक्षक
- पुरभिद – बादलों को तोड़कर जल को मुक्त करने वाला
- प्रावा – कुआँ
- परिपया – पश्चिमी विन्ध्य
- परिपशु – राजा के द्वारा आयोजित धार्मिक यज्ञ
- पलत – तिलकुट
- पंचकृष्टय: – कृषि करने वाले लोगों का समूह
- पुरचषि्णु – दुर्ग तोड़ने वाला यंत्र
- बेकनाट – सूदखोर
- ब्रीहि – चावल
- बलि – चढ़ावा या कर
- बृबु – पणियों का अधिकारी या राज
- बल – किसान
- बाबता – प्रियतमा
- ब्रात – सेना की इकाई
- ब्राजपति – चारगाह अधिकारी
- भिषक – वैद्य या चिकित्सक
- मंजूवत – हिमालय की चोटी
- मर्षण – भड़ाई
- माण – उड़द
- मुद्ग – मूँग
- महोक्ष – बड़ा बैल
- मृद्धवाच – अस्पष्ट वाणी बोलने वाले
- मरुवर्दवन –मरुद्धधा
- मतिथाघर – मंत्र का जानकार
- मन्ध – धान का सत्तू
- महामशी – दलाल
- यव – जौ
- यक्ष्मा – तपेदिक (टीबी)
- यवाग – जौ का आटा
- रयि – धनी व्यक्ति
- रक्षक – जन का सर्वोच्च अधिकारी
- रत्निन – अधिकारी वर्ग
- रई – चाँदी की छड़
- रुक्य – लॉकेट जैसा आभूषण
- रयि – चाँदी का सिक्का
- लुनन – कटाई
- लांगल – हल
- लहद – पोखर
- विश – अनेक ग्रामों का समूह
- वाय – जुलाहा
- विश्रस्यभुवनस्य – सम्राट
- विशपति – विश का सर्वोच्च अधिकारी
- विपासा – व्यास नदी
- वकू या वृक – बैल
- विश – जनता
- वपन – बुआई
- वर्ष – गड़ढा
- विदलकरी – टोकरी बनाने वाली
- वास – शरीर का ऊपरी वस्त्र
- वाप्ता – नाई
- विशमत्ता – जनता का भक्षक
- वहतु – दहेज
- विदथ – जनसभा
- वर्धकिन – बढ़ई
- वृहतकेतू – बड़ा ध्वज
- विरिवृन्ति – पुत्रहीन स्त्री
- वितस्ता – झेलम
- शततंतु – वाद्ययन्त्र
- शुतुद्री – सतलज
- श्याम – लोहा
- शुन्ध्यव – ऊन
- शण – सन्
- श्रेष्ठिन – श्रेणी का अध्यक्ष
- क्षोभ – अलसी का सूत
- क्षौम – रेशम (मैत्रायणी संहिता)
- सुवास्तु – स्वात
- सुरसती – सरस्वती
- सीस – सीसा
- सदानीरा – गंडक नदी
- सामूल्य – ऊनी कपड़ा
- स्पिवि – अनाज जमा करने वाला
- सूप – भूसा उड़ाने वाला
- सुजात – श्रेष्ठ व्यक्ति
- सुयाव – बेकार बंजर भूमि
- सीता – हल से बनी नालियाँ
- सीर – हल
- सूची – सूई
- स्पश – गुप्तचर
- सुषोमा – सोहन
- सौदायिक – पति, पिता, माता द्वारा स्त्री को दिये उपहार
- सिवता – विदुषी कन्या
- सैलूश – अभिनेता
- सिरी – कताई-बुनाई वाली स्त्री
- समन – समारोह
- समिधा – लकड़ी
- सपिंड – अग्नि के सामने पशुबलि
- सामूली – ऊनी वस्त्र
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